इस दौड़ती भागती जिंदगी से कुछ लम्हे
अपने लिए चुरा लूँ
दूसरो को छोड़ आज सिर्फ़ अपने लिए गा लूँ
इस दुनिया से अलग एक दुनिया
सिर्फ़ ख़ुद के लिए बसा लूँ
कभी जो रूठा था उसको मनाकर
फिर अपने दिल में बसा लूँ !!
अपनी सारी फिक्र भुलाकर
गीत कोई गुनगुना लूँ !!
अंधेरे में रास्ते बनाकर
तूफान में एक दीपक जला लूँ !!
इस दौड़ती भागती जिंदगी से कुछ लम्हे
अपने लिए चुरा लूँ !!
Saturday, October 25, 2008
Tuesday, October 21, 2008
साची-साची
दिल से निकली आवाज को शब्दों में समेटना चाहती हूँ !
कुछ अपने और कुछ औरों के बारे में बताना चाहती हूँ !!
दिल से जो आवाज निकले उससे पहचान बनाना चाहती हूँ !
कुछ खास कुछ आम की तरह जीवन बिताना चाहती हूँ !!
कुछ अपने और कुछ औरों के बारे में बताना चाहती हूँ !!
दिल से जो आवाज निकले उससे पहचान बनाना चाहती हूँ !
कुछ खास कुछ आम की तरह जीवन बिताना चाहती हूँ !!
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